अधिनियम एवं नियम
प्रशिक्षु अधिनियम, 1961
यह स्वीकार करते हुए कि संस्थानों में दिया गया प्रशिक्षण रोजगार योग्य कौशल प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है और कार्यस्थल पर प्रशिक्षण द्वारा पूरक की आवश्यकता है, प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 और प्रशिक्षुता नियम, 1962 को उद्योगों में उपलब्ध सुविधाओं का पूरी तरह से उपयोग करने के मुख्य उद्देश्य के साथ लागू किया गया था। व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना और इस प्रकार उद्योगों के लिए कुशल जनशक्ति विकसित करना। प्रारंभ में, अधिनियम में व्यापार प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षुता प्रशिक्षण शामिल था। इसके बाद, अधिनियम में क्रमशः स्नातक, तकनीशियन, तकनीशियन (व्यावसायिक) और वैकल्पिक व्यापार प्रशिक्षुओं को इसके दायरे में लाने के लिए 1973, 1986 और 2014 में संशोधन किया गया और वर्ष 2015 में प्रशिक्षुता नियम, 1992 को संशोधित किया गया।
उद्देश्य
प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ अधिनियमित किया गया था :-
- उद्योग में प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण के कार्यक्रम को विनियमित और बढ़ावा देना; और
- उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने की दृष्टि से व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उद्योग में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना।