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Last Updated : 22-12-2022

मंत्रालय के विषय में

यह मंत्रालय देश भर में कौशल विकास के सभी प्रयासों का समन्वय करने, कुशल जनशक्ति की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को दूर करने, व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण ढांचे का निर्माण करने, कौशल उन्नयन करने, न केवल मौजूदा नौकरियों के लिए, बल्कि सृजित की जाने वाली नौकरियों के लिए भी नए कौशलों और नवीन सोच का निर्माण करने के लिए उत्तरदायी है।

मंत्रालय का उद्देश्य 'कुशल भारत' के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए गति और उच्च मानकों के साथ बड़े पैमाने पर कुशल बनाना है।

इन पहलों में इसकी सहायता करने के लिए इसके कार्यात्मक खंड हैं - प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी), राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), राष्ट्रीय कौशल विकास निधि (एनएसडीएफ़) और 37 क्षेत्र कौशल परिषदें (एसएससी) के साथ-साथ 33 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान [एनएसटीआई/एनएसटीआई (महिला)], डीजीटी के अंतर्गत लगभग 15000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और एनएसडीसी के साथ 187 प्रशिक्षण भागीदार पंजीकृत हैं। मंत्रालय ने कौशल विकास केंद्रों, विश्वविद्यालयों और इस क्षेत्र के अन्य गठबंधनों के मौजूदा नेटवर्क के साथ काम करने का भी इरादा किया है। इसके अलावा, संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, उद्योग और गैर-सरकारी संगठनों के साथ बहु-स्तरीय जुड़ाव और कौशल विकास प्रयासों के अधिक प्रभावशाली कार्यान्वयन के लिए सहयोग शुरू किया गया है।

दृष्टिकोण कथन 2025

“उत्पादकता लाभांश को प्रेरित करने और सभी के लिए आकांक्षात्मक रोजगार और उद्यमशीलता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए मानव पूंजी की उन्मुक्तता"

एमएसडीई का विजन 2025 भारत को उच्च-कौशल संतुलन के लिए परिवर्तित करने हेतु एक इकोसिस्टम – समर्थ दृष्टिकोण अपनाता है और व्यक्तियों, उद्यमों और अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक परिणाम बनाने में मदद करता है। दृष्टिकोण के माध्यम से प्राप्त किए जाने वाले तीन परिणाम है:

  • व्यक्तिगत आर्थिक लाभ और सामाजिक गतिशीलता को समर्थ बनाना;
  • ऐसा कौशल बाजार बनाना जो शिक्षार्थी केंद्रित और मांग - संचालित हो; तथा
  • आकांक्षात्मक रोजगार और उद्यमशीलता सृजित करना उद्यमों के लिए समग्र उत्पादकता में सुधार करना और आर्थिक विकास को उत्प्रेरित करना।